The Basic Principles Of apsara sadhna
The Basic Principles Of apsara sadhna
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कुशासन, रेशमी आसन, ऊनी आसन, म्रगचर्म आसन या व्याघ्र चर्म आसन में से साधना के अनुकूल आसन का चयन करें।
साधना के लिए एकांतिक स्थान का चयन करते समय आसन की विशेष ध्यान देना चाहिए।
अप्सरा साधना एक उच्च आध्यात्मिक अनुभव है जो साधक को आत्म-प्रेम, आत्म-साक्षात्कार, और आत्म-संयम की प्राप्ति में सहायक होता है। यह साधना साधक को आत्मिक विकास और शक्ति के साथ-साथ आनंद और आत्म-समर्पण का अनुभव कराती है।
अप्सरा और परी दोनों ही हिन्दू मिथकों और पौराणिक कथाओं में उल्लेखित स्वर्गीय स्त्री देवियां हैं, लेकिन इनके बीच भिन्नता है। यहां अप्सरा और परी में कुछ मुख्य अंतर हैं:
साधना के दौरान दिशा का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आत्मिक शक्ति: अप्सराएं आत्मिक शक्तिशाली होती हैं और उनकी आत्मिक शक्ति साधकों को आत्म-सम्मोहन और आध्यात्मिक उत्थान में सहायक होती है।
आत्म-विकास और स्थिरता: अप्सरा साधना साधक को आत्म-विकास और स्थिरता की ओर ले जाती है। यह साधना उसे आत्मिक शक्ति और शांति का अनुभव कराती है जो कि उसकी जीवन में सुख और समृद्धि लाती है।
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कार्य और सेवाएं: अप्सराएं स्वर्गीय देवताओं की सेवा करती हैं और उनके साथ नृत्य, संगीत और आनंद लेती हैं। उनका मुख्य कार्य स्वर्ग में साधकों को आनंदित करना होता है। परी भी देवताओं की सेवा में लगी रहती हैं, लेकिन उनका कार्य संतोष, समृद्धि और सुख के प्रदान में होता है।
भावनात्मक उत्थान: अप्सरा साधना साधक की भावनात्मक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह साधना उसे प्रेम, करुणा, और सहानुभूति की भावना से प्रेरित करती है।